यह शहर जाना पहचाना है
इसकी गलियां जानी पहचानी हैं
पर जब भी मैं इनसे गुजरता हूं
अक्सर गलत मोड मुड जाता हूं ।
लोग मिलते हैं
पर पहचानते नहीं
पूछने पर कहते हैं
हम आपको जानते नहीं ।
न जाने कैसे
मतलब होने पर
इसकी गलियां जानी पहचानी हैं
पर जब भी मैं इनसे गुजरता हूं
अक्सर गलत मोड मुड जाता हूं ।
लोग मिलते हैं
पर पहचानते नहीं
पूछने पर कहते हैं
हम आपको जानते नहीं ।
न जाने कैसे
मतलब होने पर
उन्हें याद हो ही जाता है
कि हम उनके बहुत करीब हैं ।
अब मैं भी इसी शहर का बाशिंदा हूं
मैं भी इसी भीड में शामिल हूं
ऐसी चाल को टेढी न कहना
इसको जमाने का दस्तूर कहते हैं दोस्तों
इस शहर को मतलबपरस्त न कहना
वर्ना मैं बुरा मान जाऊगां दोस्तों !
कि हम उनके बहुत करीब हैं ।
अब मैं भी इसी शहर का बाशिंदा हूं
मैं भी इसी भीड में शामिल हूं
ऐसी चाल को टेढी न कहना
इसको जमाने का दस्तूर कहते हैं दोस्तों
इस शहर को मतलबपरस्त न कहना
वर्ना मैं बुरा मान जाऊगां दोस्तों !