पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम पर नजर डाली तो पाया कि श्रीराम सेना की गूंज अनेकों जगह पर है। श्रीराम सेना जिन व्यक्तियों ने बनाई मैं उनकी मानसिकता, ध्येय, लक्ष्य और उद्देश्य तो नहीं जानता पर एक आम नागरिक होने के नाते इतना तो जानता हूं कि किसी भी व्यक्ति या संस्था का काम मारना पीटना या लडकियों के साथ अभद्रता के साथ पेश आना नहीं है। वह पब जहां पर यह घटनाक्रम हुआ अब भी खुला हुआ है। अगर शराब की दुकानें सरकार की नीति के तहत खुली हैं तो ग्राहक के साथ मार पीट करके क्या हासिल होने वाला है। अगर पब अनाधिकत हैं तो उन्हें बंद करने की कानूनी कार्यवाही करिए। ऐसी संस्था जो पब में जाकर निरीह लोगों से पंगा लेती हो उसका नाम श्रीराम सेना क्यों। श्रीराम जन नायक थे। भगवान श्रीराम के नाम को ऐसे लोगों ने नि:संदेह शर्मसार किया है। जो लोग श्रीराम सेना के विरोधी हैं वह क्या इन्हें सडक पर उतर कर नंगा करके पीटे तो हिसाब बराबर हुआ समझना चाहिए। फिर तो काबुल में, पाकिस्तान में और इस तरह के अन्य देशों में हो रहा है justified हो जाएगा। यदि धर्म के नाम पर कुछ करना ही है तो लडकियों को संस्कार दीजिए कि वह ऐसी जगहों पर न जाएं। शराब की दुकान पर अवयस्क लडके खुले आम शराब पीते हैं, कहीं उनकी मोटर साइकिल खडी है, कहीं खुद खडे हुए गाली गलौज कर रहे हैं उन्हें रोकिए। ऐसी सडकों पर रातभर रखवाली करिए जिन पर दिन में भी लडकियों का चलना दुश्वार है। ऐसी बसों में गुण्डों को अपनी ताकत दिखाइए जहां खुले आम लडकियों पर फिकरे कसे जाते हैं। हिंदू तो वह हैं जो अच्छे प्रयोजनों के लिए महर्षि दधीचि की तरह अपनी अस्थियां भी दान देने की सामर्थ्य रखता हैं और अधर्म होने पर अपने बंधु बांधवों का विरोध/संहार करने पर भी नहीं हिचकिचाता।
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