मैंने हिम्मतों से हर पल को जीया है
असफलताओं के दौर को भी जी भर के जीया है
विष को कोई छूता भी नहीं
पर मैंने उसे शिव की तरह पीया है
जीवन के हर प्रश्न को
युधिष्ठिर की तरह हल किया है
पर उनसे क्या गिलेशिकवे करूं
जिन्होंने हरदम मुझे ठगा है
कहना है तो सिर्फ इतना ही
कि हम वह नहीं जो यूं ही मिट जाएंगें
यूं ही नहीं हम खाक में मिल जाएगें
हम तो वह दीवार नहीं
जो एक धक्के से हिल जाएगें,
यूं ही खडे रहेंगें अडिग
हर वक्त, हर समय हम याद आएगें
जब भी बेबसी में तुम्हारी आंख का आंसू गिरेगा
और पश्चाताप तुम्हे रुलाएगा
दोनों हाथ से उसे थामने आ जाएगें
विषाद और अवसाद तो है ही नहीं
तुमसे कभी कोई शिकायत भी नहीं
आत्मबल से वज्र के सही
पर मन से तो मिटटी के माधो हैं
तुम्हें अगर पहचान नहीं
तो भी हमें कोई गिला शिकवा नहीं
क्योंकि मेरे जीवन में असफलताओं के दौर अभी बाकी हैं
विष के कई प्याले पीना अभी बाकी है।
11 टिप्पणियाँ:
मन से said...
बेहतरीन भावों से रची बसी कविता जो हर परिस्थिति में जीवन जीना सिखाती है। आपको मेरी शुभकामनाएं।
ताऊ रामपुरिया said...
बहुत लाजवाब रचना. शुभकामनाएं.
रामराम
Himanshu Pandey said...
खूबसरत कविता । बेहतरीन भाव । धन्यवाद ।
Smart Indian said...
"मैंने हिम्मतों से हर पल को जीया है
असफलताओं के दौर को भी जी भर के जीया है
विष को कोई छूता भी नहीं
पर मैंने उसे शिव की तरह पीया है"
बेहतरीन रचना. पूरी कविता ही सुन्दर है पर उपरोक्त पंक्तियाँ खासकर अच्छी लगीं. बधाई!
दिगम्बर नासवा said...
मैंने हिम्मतों से हर पल को जीया है
असफलताओं के दौर को भी जी भर के जीया है
जो vish को पीता है वही तो शिव बनता है .......... आशा से भरी सुन्दर रचना ......
प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...
सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....
ताऊ रामपुरिया said...
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
Smart Indian said...
साल की सबसे अंधेरी रात में
दीप इक जलता हुआ बस हाथ में
लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी
कड़वाहटों को छोड़ कर पीछे कहीं
अपना-पराया भूल कर झगडे सभी
झटकें सभी तकरार ज्यों आयी-गयी
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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Pushpendra Singh "Pushp" said...
बहुत खूब बेहतरीन रचना
आभार
Smart Indian said...
होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
Unknown said...
my name atul vishwakarma
your good later