(अतुल शर्मा)

रिश्‍ते जो कभी होते हैं अपने से
और बेगाने से कभी
रिश्‍ते जो होते हैं दिल के करीब
और हजारों मील दूर होते हैं कभी
रिश्‍ते जो कभी हंसाते हैं
और रुलाते भी कभी
रिश्‍ते जो कभी होते हैं मीठे से
और हो जाते हैं कडवे कभी
रिश्‍ते जो कभी गुदगुदाते हैं
और देते हैं अकुलाहट कभी
रिश्‍ते जो होते हैं सहज अभी
और देने लगते हैं झुंझलाहट कभी
रिश्‍ते जो मस्‍तक गर्वित करते हैं
और शर्म से गर्दन झुकाते हैं कभी
रिश्‍ते जो कभी त्‍याग मांगते हैं
और जीवन भी कभी
रिश्‍ते जो कभी
अंगुली पकडकर चलाना सिखाते हैं
क्‍यों आ जाते हैं कांधे पर कभी ?

(‘पतझड सावन वंसत बहार’ संकलन में प्रकाशित कविता)





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17 टिप्पणियाँ:

    विवेक सिंह said...

    बहुत सुन्दर रिश्तों की कविता ! आभार !

  1. ... on 14 January 2009 at 10:03  
  2. Smart Indian said...

    मार्मिक और सुंदर कविता, बधाई!

  3. ... on 14 January 2009 at 16:02  
  4. निर्मला कपिला said...

    रिश्ते जो कभी अंगुली पकड कर वलना सिखाते हैं क्यों आ जते हैं कन्धे पर कभी--बहुत ही भावमय अभिव्यक्ति है ब्धाई

  5. ... on 15 January 2009 at 20:03  
  6. संगीता पुरी said...

    रिश्‍ते जो कभी
    अंगुली पकडकर चलाना सिखाते हैं
    क्‍यों आ जाते हैं कांधे पर कभी ?
    बहुत सुंदर।

  7. ... on 15 January 2009 at 20:49  
  8. Anonymous said...

    'रिश्‍ते जो कभी होते हैं अपने से
    और बेगाने से कभी'

    रिश्तों को परिभाषित करते हुए दिल को छूने वाली एक सुंदर प्रस्तुति के लिए साधुवाद.

  9. ... on 15 January 2009 at 21:34  
  10. ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

    मर्म को स्पर्श करता कविता का अंत ...
    सुन्दर और सहज रचना के लिए बधाई ....

  11. ... on 15 January 2009 at 21:45  
  12. राजीव करूणानिधि said...

    ये रिश्ते भी बड़े अजीब होते है, जो पास हैं वही क्यों दूर होते हैं.
    अच्छी कविता के लिए बधाई.

  13. ... on 16 January 2009 at 03:39  
  14. Atul Sharma said...

    आप सभी के प्रेरणादायक कमेंटस के लिए मैं आपका आभारी हूं। प्रयास रहेगा कविताएं छोटी रहें और आपका स्‍नेह बडा ।
    ........ सादर सहित
    .........अतुल शर्मा

  15. ... on 16 January 2009 at 06:31  
  16. M. D. Ramteke said...

    Hi Atul Jee,

    Nice Poem,

    Ye Rishte Naa hote to Jaane mera Kya Hota.
    Bachpan me maa, Javaani me Jaan (Wife),
    Naa hote to mera kya hota!

    Vatsalya Ras (Parents) Ka Saaya tha Rishtonki Aad me.
    PremRas (Sex) Ka aaswad maine liya hain Rishto ki Panaah me. (From Wife).
    Ye rishte Naa hote to mera kya hota.

    I can not write any more due to langue problem

    Any way nice poem, it made me write two lines in hindi

    Wonderful

  17. ... on 17 January 2009 at 03:57  
  18. योगेन्द्र मौदगिल said...

    बेहतरीन रचना के लिये आप को बधाई

  19. ... on 18 January 2009 at 04:26  
  20. जय श्रीवास्तव said...

    atul babu, rassi par dodte bachchon ko dekhna ho , jhable topi sukhte dekh lijiye.

  21. ... on 18 January 2009 at 12:21  
  22. Tripti said...

    Very very nice and motivating poem !!

  23. ... on 19 January 2009 at 08:16  
  24. Science Bloggers Association said...

    रिशतों की गहराई में उतरती रोचक कविता, बधाई।

  25. ... on 21 January 2009 at 01:49  
  26. Prateek said...

    हिंगलिश के बारे में आपके विचार पढ़े,
    अच्छे लगे.
    कृपया हमारे बक-बक पत्र पर हमारे विचारों की समीक्षा करें तो मेहेरबानी होगी
    http://prateekshujanya.blogspot.com/2009/01/blog-post.html

  27. ... on 27 January 2009 at 02:34  
  28. रंजू भाटिया said...

    रिश्तो को ब्यान करती सुंदर रचना

  29. ... on 11 February 2009 at 00:12  
  30. Anonymous said...

    apka background bahut sunder hai
    n poem bakwaas hai

  31. ... on 10 May 2010 at 04:22  
  32. Atul Sharma said...

    Yahan ki background bhi khoobsoorat hai aur poem bhi, lagta hai 'Annonmous' ji ka dimaag hi kharaab hai. Any way keep visiting.

  33. ... on 21 May 2010 at 01:52