(अतुल शर्मा)
रिश्ते जो कभी होते हैं अपने से
और बेगाने से कभी
रिश्ते जो होते हैं दिल के करीब
और हजारों मील दूर होते हैं कभी
रिश्ते जो कभी हंसाते हैं
और रुलाते भी कभी
रिश्ते जो कभी होते हैं मीठे से
और हो जाते हैं कडवे कभी
रिश्ते जो कभी गुदगुदाते हैं
और देते हैं अकुलाहट कभी
रिश्ते जो होते हैं सहज अभी
और देने लगते हैं झुंझलाहट कभी
रिश्ते जो मस्तक गर्वित करते हैं
और शर्म से गर्दन झुकाते हैं कभी
रिश्ते जो कभी त्याग मांगते हैं
और जीवन भी कभी
रिश्ते जो कभी
अंगुली पकडकर चलाना सिखाते हैं
क्यों आ जाते हैं कांधे पर कभी ?
(‘पतझड सावन वंसत बहार’ संकलन में प्रकाशित कविता)
रिश्ते जो कभी होते हैं अपने से
और बेगाने से कभी
रिश्ते जो होते हैं दिल के करीब
और हजारों मील दूर होते हैं कभी
रिश्ते जो कभी हंसाते हैं
और रुलाते भी कभी
रिश्ते जो कभी होते हैं मीठे से
और हो जाते हैं कडवे कभी
रिश्ते जो कभी गुदगुदाते हैं
और देते हैं अकुलाहट कभी
रिश्ते जो होते हैं सहज अभी
और देने लगते हैं झुंझलाहट कभी
रिश्ते जो मस्तक गर्वित करते हैं
और शर्म से गर्दन झुकाते हैं कभी
रिश्ते जो कभी त्याग मांगते हैं
और जीवन भी कभी
रिश्ते जो कभी
अंगुली पकडकर चलाना सिखाते हैं
क्यों आ जाते हैं कांधे पर कभी ?
(‘पतझड सावन वंसत बहार’ संकलन में प्रकाशित कविता)
17 टिप्पणियाँ:
विवेक सिंह said...
बहुत सुन्दर रिश्तों की कविता ! आभार !
Smart Indian said...
मार्मिक और सुंदर कविता, बधाई!
निर्मला कपिला said...
रिश्ते जो कभी अंगुली पकड कर वलना सिखाते हैं क्यों आ जते हैं कन्धे पर कभी--बहुत ही भावमय अभिव्यक्ति है ब्धाई
संगीता पुरी said...
रिश्ते जो कभी
अंगुली पकडकर चलाना सिखाते हैं
क्यों आ जाते हैं कांधे पर कभी ?
बहुत सुंदर।
Anonymous said...
'रिश्ते जो कभी होते हैं अपने से
और बेगाने से कभी'
रिश्तों को परिभाषित करते हुए दिल को छूने वाली एक सुंदर प्रस्तुति के लिए साधुवाद.
ज्योत्स्ना पाण्डेय said...
मर्म को स्पर्श करता कविता का अंत ...
सुन्दर और सहज रचना के लिए बधाई ....
राजीव करूणानिधि said...
ये रिश्ते भी बड़े अजीब होते है, जो पास हैं वही क्यों दूर होते हैं.
अच्छी कविता के लिए बधाई.
Atul Sharma said...
आप सभी के प्रेरणादायक कमेंटस के लिए मैं आपका आभारी हूं। प्रयास रहेगा कविताएं छोटी रहें और आपका स्नेह बडा ।
........ सादर सहित
.........अतुल शर्मा
M. D. Ramteke said...
Hi Atul Jee,
Nice Poem,
Ye Rishte Naa hote to Jaane mera Kya Hota.
Bachpan me maa, Javaani me Jaan (Wife),
Naa hote to mera kya hota!
Vatsalya Ras (Parents) Ka Saaya tha Rishtonki Aad me.
PremRas (Sex) Ka aaswad maine liya hain Rishto ki Panaah me. (From Wife).
Ye rishte Naa hote to mera kya hota.
I can not write any more due to langue problem
Any way nice poem, it made me write two lines in hindi
Wonderful
योगेन्द्र मौदगिल said...
बेहतरीन रचना के लिये आप को बधाई
जय श्रीवास्तव said...
atul babu, rassi par dodte bachchon ko dekhna ho , jhable topi sukhte dekh lijiye.
Tripti said...
Very very nice and motivating poem !!
Science Bloggers Association said...
रिशतों की गहराई में उतरती रोचक कविता, बधाई।
Prateek said...
हिंगलिश के बारे में आपके विचार पढ़े,
अच्छे लगे.
कृपया हमारे बक-बक पत्र पर हमारे विचारों की समीक्षा करें तो मेहेरबानी होगी
http://prateekshujanya.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
रंजू भाटिया said...
रिश्तो को ब्यान करती सुंदर रचना
Anonymous said...
apka background bahut sunder hai
n poem bakwaas hai
Atul Sharma said...
Yahan ki background bhi khoobsoorat hai aur poem bhi, lagta hai 'Annonmous' ji ka dimaag hi kharaab hai. Any way keep visiting.