(अतुल शर्मा)


जब हो हर तरफ तन्हाई
रात हो घिर आई
धीरे से तुम सिसकना मत
चाँद से कुछ बातें करना
मुस्कराना
इठलाना
गुदगुदाना
और फिर प्यार से
ग़मों को अपने भूल जाना
देखोगे कि सुबह फैली हुई है
अपनी सौगात लेकर
रात की कालिमा को धोकर
जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है
इस से भागना नहीं
अपने आगोश में पकड़ लेना
प्यार बांटना गम नहीं
मुस्कुराते रहना
सिसकना रोना नहीं.
(‘पतझड सावन वंसत बहार’ संकलन में प्रकाशित कविता)







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42 टिप्पणियाँ:

    Vinay said...

    सुन्दर भाव वाली रचना, पढ़कर अच्छा लगा

    ---मेरे पृष्ठ
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  1. ... on 18 January 2009 at 19:54  
  2. seema gupta said...

    अपने आगोश में पकड़ लेना
    प्यार बांटना गम नहीं
    मुस्कुराते रहना
    सिसकना रोना नहीं.
    " बेहद नाजुक भाव को कोमलता से प्रस्तुत करती जिन्दगी की तरफ सकारात्मक नजरिये को दर्शाती ....ये पंक्तियाँ खास कर मन को छु गयी.."
    Regards

  3. ... on 18 January 2009 at 19:57  
  4. Smart Indian said...

    बहुत सुंदर भाव, लिखते रहिये!

  5. ... on 18 January 2009 at 20:09  
  6. रंजू भाटिया said...

    बहुत सुंदर भाव है जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है
    इस से भागना नहीं
    अपने आगोश में पकड़ लेना
    प्यार बांटना गम नहीं
    मुस्कुराते रहना
    सिसकना रोना नहीं.
    .सुंदर अभिव्यक्ति

  7. ... on 18 January 2009 at 20:34  
  8. Alpana Verma said...

    देखोगे कि सुबह फैली हुई है
    अपनी सौगात लेकर
    रात की कालिमा को धोकर


    सुंदर रचना -सफल अभिव्यक्ति.

  9. ... on 18 January 2009 at 20:43  
  10. नीरज गोस्वामी said...

    "जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है"
    कितनी अच्छी और सुलझी हुई बात....बेहतरीन कविता है...आभार आपकी इस प्रस्तुति का...
    नीरज

  11. ... on 18 January 2009 at 21:48  
  12. mamta said...

    जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है

    सच ही लिखा है ।

  13. ... on 18 January 2009 at 22:08  
  14. Jimmy said...

    right words ji good going


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  15. ... on 18 January 2009 at 22:25  
  16. दिनेशराय द्विवेदी said...

    सुंदर, हिम्मत बढ़ाती कविता।

  17. ... on 19 January 2009 at 04:29  
  18. Unknown said...

    अपने आगोश में पकड़ लेना
    प्यार बांटना गम नहीं
    मुस्कुराते रहना
    सिसकना रोना नहीं.

    bahut accha likha hai...

  19. ... on 19 January 2009 at 08:50  
  20. sandhyagupta said...

    Bada hi manoram aur aakarshak blog hai aapka.Rachnayen bhi achchi hain.Badhai.

  21. ... on 19 January 2009 at 09:12  
  22. संगीता पुरी said...

    प्यार बांटना गम नहीं
    मुस्कुराते रहना
    सिसकना रोना नहीं.
    बहुत सुंदर भाव....अच्‍छी कविता।

  23. ... on 19 January 2009 at 09:45  
  24. रंजना said...

    Aasha se bharee ,sfoorti pradaan karti sundar rachna.Waah !

  25. ... on 19 January 2009 at 10:05  
  26. admin said...

    भावपूर्ण कविता, पढकर अच्‍छा लगा।

  27. ... on 20 January 2009 at 21:44  
  28. hem pandey said...

    सकारात्मक सोच वाली सुंदर रचना के लिए साधुवाद.

  29. ... on 21 January 2009 at 08:24  
  30. निर्मला कपिला said...

    bahut hi sunder sakaaratmak rachna hai bdhaai

  31. ... on 21 January 2009 at 20:50  
  32. अविनाश said...

    सुंदर रचना, एक सुंदर और सफल प्रयास. मेरे ब्लॉग पर आने और टिप्पणी करने का शुक्रिया.
    धन्यवाद

  33. ... on 23 January 2009 at 07:07  
  34. राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

    आपकी बात को हमेशा-हमेशा के लिए दिल संजो लिया है........अनुराग जी.........बहुत ही पोजिटिव रचना है....जितना पोजिटिव कि मैं ख़ुद.......इसलिए आपको धन्यवाद.....!!

  35. ... on 25 January 2009 at 09:34  
  36. shekhar said...

    जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है ।
    अत्‍यन्‍त प्रेरणादायक और सुन्‍दर कविता है । ब्‍लाग जगत को एक और सुन्‍दर कविता पढ़ाने के लिए बधाई एवं धन्‍यवाद ।
    शेखर

  37. ... on 25 January 2009 at 10:00  
  38. Smart Indian said...

    आपसे पूर्णतः सहमत हूँ.
    आपको आपके परिवार, सहकर्मियों, पडोसिओं एवं मित्रों को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई!

  39. ... on 25 January 2009 at 19:19  
  40. योगेन्द्र मौदगिल said...

    अच्छी कविता है अतुल जी.... साधुवाद...

  41. ... on 25 January 2009 at 23:47  
  42. Atul Sharma said...

    आप सभी के ऊर्जा से भरे शब्‍दों के लिए मैं आभारी हूं। आपके प्रोत्‍साहन निश्चित ही मुझे प्रेरित करते हैं और मेरा मनोबल बढाते हैं। धन्‍यवाद।

  43. ... on 26 January 2009 at 04:44  
  44. Akanksha Yadav said...

    सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
    -----------------------------------
    60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!

  45. ... on 26 January 2009 at 05:06  
  46. मन से said...

    सुंदर और सरल कविताओं के लिए धन्‍यवाद। लेकिन अभी तक आपकी वह कविताएं नहीं दिखाई दीं जो पतझड सावन वंसत बहार संकलन की बेहतरीन और खूबसूरत कविताएं हैं। क्‍या उन्‍हें संकलन के लिए ही रखा हुआ है।

  47. ... on 26 January 2009 at 05:53  
  48. ताऊ रामपुरिया said...

    बेहद भावप्रवण रचना. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

  49. ... on 26 January 2009 at 06:35  
  50. दिगम्बर नासवा said...

    भावः पूर्ण रचना, बहुत प्रभावशाली है

  51. ... on 27 January 2009 at 07:05  
  52. भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

    पहली बार आया, सुन्दर कविता पढ़कर मजा आ गया.

  53. ... on 27 January 2009 at 22:42  
  54. RADHIKA said...

    प्यार बांटना गम नहीं
    मुस्कुराते रहना
    अच्छी कविता .बधाई

  55. ... on 28 January 2009 at 03:01  
  56. Atul Sharma said...

    सरिता जी, आकांक्षा जी, ताऊजी, दिगंबर जी, राधिका जी और प्रिय COMMON MAN जी, आप सभी ने मेरा ब्‍लॉग देखा, पढा और सराहा, इसके लिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं।

  57. ... on 28 January 2009 at 10:09  
  58. राजीव करूणानिधि said...

    तन्हाई का दर्द बाँटने के लिए शुक्रिया दोस्त. यूँ ही लिखते रहिय.

  59. ... on 1 February 2009 at 22:28  
  60. भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

    abhi padhna shuru kiya hai, majaa aa raha hai. aur padh loon,

  61. ... on 5 February 2009 at 03:03  
  62. Amit Kumar Yadav said...

    Sundar Abhivyakti...Badhai !!
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  63. ... on 6 February 2009 at 03:38  
  64. प्रदीप मानोरिया said...

    आपकी हर कविता बहुत सुंदर है गहरे भावः बधाई

  65. ... on 6 February 2009 at 20:01  
  66. Atul Sharma said...

    शुक्रिया करुणानिधि जी,COMMON MAN, “युवा” व प्रदीप मानोरिया जी,
    आपके प्रेरणादायक शब्‍द उत्‍साहित करते हैं। धन्‍यवाद।

  67. ... on 7 February 2009 at 01:35  
  68. Anonymous said...

    bahut sundar abhivyakti hai atul ji..


    ___________________________________
    http://merastitva.blogspot.com

  69. ... on 11 February 2009 at 03:39  
  70. प्रदीप मानोरिया said...

    अतुल जी यथार्थ परक आलेख
    इस सम्बन्ध में मेने एक कव्वाली लिखी है आशा आपको लगेगा की वोह इस विषय को पूरा करती है
    कृपया मेरे ब्लॉग पर पधार कर मुझे अनुग्रहीत करें

  71. ... on 14 February 2009 at 20:33  
  72. Atul Sharma said...

    धन्‍यवाद काजल जी और प्रदीप मानोरिया जी।

  73. ... on 15 February 2009 at 00:50  
  74. Dev said...

    बहुत सुंदर रचना .
    बधाई
    इस ब्लॉग पर एक नजर डालें "दादी माँ की कहानियाँ "
    http://dadimaakikahaniya.blogspot.com/

  75. ... on 16 February 2009 at 01:34  
  76. admin said...

    हिंदू तो वह हैं जो अच्‍छे प्रयोजनों के लिए महर्षि दधीचि की तरह अपनी अस्थियां भी दान देने की सामर्थ्‍य रखता हैं और अधर्म होने पर अपने बंधु बांधवों का विरोध/संहार करने पर भी नहीं हिचकिचाता।

    सुन्दर विचार।

  77. ... on 17 February 2009 at 02:53  
  78. हरकीरत ' हीर' said...

    Atul ji meri nazar pta nahi kyon nahi padi ab tak itani sunder racnaon pr....! Bhot hi accha likhte hain aap skaratmak soch liye... acchi lagin aapki rachnaye.....!!

  79. ... on 17 February 2009 at 07:58  
  80. Arvind Gaurav said...

    bahut badhiya.....magar aapki taarif me ye shabd kam hai....kya kahun pata nahi.

  81. ... on 24 February 2009 at 03:39  
  82. talent said...

    bahut sundar..

  83. ... on 19 June 2012 at 03:53