(अतुल शर्मा)
कभी जो हमारा सहारा थे
आज बेसहारा हैं
और इस अहसास को
मैंने महसूस किया हे
ठीक तुम्हारी ही तरह
कभी जो हमारा सहारा थे
आज बेसहारा हैं
और हम बेबस है
ठीक तुम्हारी ही तरह
जिन हाथों ने थामी थी
कभी छोटी सी अंगुलियां
कराहा था जिनका दिल कभी
नन्हीं आंखों में आंसू आ जाने से
उनको अकेला छोड दिया है
बेरहम हालातों से लड़ने के लिए
बूढ़ी, बेबस और पथराई आंखे
तकती रहीं सहारे के लिए
और हम चले आए वहां से
ठीक तुम्हारी ही तरह।
अतुल शर्मा
कभी जो हमारा सहारा थे
आज बेसहारा हैं
और इस अहसास को
मैंने महसूस किया हे
ठीक तुम्हारी ही तरह
कभी जो हमारा सहारा थे
आज बेसहारा हैं
और हम बेबस है
ठीक तुम्हारी ही तरह
जिन हाथों ने थामी थी
कभी छोटी सी अंगुलियां
कराहा था जिनका दिल कभी
नन्हीं आंखों में आंसू आ जाने से
उनको अकेला छोड दिया है
बेरहम हालातों से लड़ने के लिए
बूढ़ी, बेबस और पथराई आंखे
तकती रहीं सहारे के लिए
और हम चले आए वहां से
ठीक तुम्हारी ही तरह।
अतुल शर्मा

9 टिप्पणियाँ:
Smart Indian said...
आपको, आपके परिवारजनों और मित्रों को नव-वर्ष की शुभकामनाएं!
Himanshu Pandey said...
हिन्दी चिट्ठाकारी में आपका स्वागत है.
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.
दिगम्बर नासवा said...
अतुल जी
एक सुंदर कविता, नया विचार
खूबसूरत
आप सब को नव वर्ष की ढेरों शुभ-कामनाएं
हरकीरत ' हीर' said...
कुछ रहे वही दर्द के काफिले साथ
कुछ रहा आप सब का स्नेह भरा साथ
पलकें झपकीं तो देखा...
बिछड़ गया था इक और बरस का साथ...
नव वर्ष की शुभ कामनाएं..
ज्योत्स्ना पाण्डेय said...
sundar kavita..........
naye varsh ke saath apkaa bhi swaagat hai!!!
प्रदीप मानोरिया said...
नव वर्ष मंगल मय हो
आपका सहित्य सृजन खूब पल्लिवित हो
प्रदीप मानोरिया
09425132060
मोहन वशिष्ठ said...
एक सुंदर कविता बहुत अच्छे इसी के साथ
नया साल 2009 आप सभी के लिए
सुखदायक
धनवर्धक
स्वास्थ्वर्धक
मंगलमय
और प्रगतिशील हो
यही हमारी भगवान से प्रार्थना है
Regard
प्रवीण त्रिवेदी said...
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।आप सब को नव वर्ष की ढेरों शुभ-कामनाएं
प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें
Atul Sharma said...
आप सभी मित्रों को नमस्कार । आपने मेरी कविताओं को पढा और सराहा इसके लिए मैं आप सभी का आभारी हूं । लगातार आप को कुछ नया देता रहूं इसके लिए प्रयत्नशील रहूंगा ।