(अतुल शर्मा)

जब दिल में दर्द हो
आंखों में आंसू की बूंदें हों
भीड में भी अकेलापन हो
आसपास कोई चाहने वाला न हो
जब अपने शब्‍द ही
लौट कर वापस आते हों
ख्‍यालों में भी तनहाइयॉं हों
न कुछ करने को हो
और गर कुछ करना चाहो भी
तो उठने की हिम्‍मत न हो
चुपचाप दो आसूं बहा लेना मेरे दोस्‍त
हो सकता है तुम्‍हारे जनाजे पर
कोई रोने वाला भी न हो ।
........ अतुल शर्मा






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13 टिप्पणियाँ:

    Jimmy said...

    bouth he aacha post kiyaa aapne

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  1. ... on 9 January 2009 at 00:05  
  2. Smart Indian said...

    अतुल भाई,
    बहुत बधाई, आपकी कलम से निकली एक और बेहतरीन रचना के लिए.

  3. ... on 10 January 2009 at 21:56  
  4. cg4bhadas.com said...

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए, अलविदा २००८ और
    2009 के आगमन की हार्दिक शुभकामनायें स्‍वीकार करे,
    Welcome to the Cg Citizen Journalism
    The All Cg Citizen is Journalist"!

  5. ... on 11 January 2009 at 08:52  
  6. ताऊ रामपुरिया said...

    वाह भाई लाजवाब रचना है, बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

  7. ... on 11 January 2009 at 09:43  
  8. बाल भवन जबलपुर said...

    अतुल जी
    टिप्पणी के लिए आभार

    तो उठने की हिम्‍मत न हो
    चुपचाप दो आसूं बहा लेना मेरे दोस्‍त
    हो सकता है तुम्‍हारे जनाजे पर
    कोई रोने वाला भी न हो ।
    एकाकी बेबसी सच ऐसी ही
    होती है

  9. ... on 11 January 2009 at 09:46  
  10. मुकेश कुमार तिवारी said...

    अतुल जी,

    अंतिम पंक्‍तियों में दिल छू लेते हैं. बहुत ही अच्छी रचना.

    बधाईयाँ.

    मुकेश कुमार तिवारी

  11. ... on 11 January 2009 at 19:16  
  12. Vinay said...

    बहुत सुन्दर कविता है

    ब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
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  13. ... on 12 January 2009 at 20:01  
  14. डॉ. मनोज लोढा said...

    काफी गंभीर सृजन है, इसी प्रकार कुछ सकारात्‍मक पहलुओं की ओर भी कलम उठे तो उत्‍साह द्विगुणित हो उठेगा। मेरे ब्‍लॉग के लिए आपकी शुभाकांक्षाओं के लिए धन्‍यवाद।

  15. ... on 12 January 2009 at 21:57  
  16. Unknown said...

    बहुत सुन्दर लिखा है...
    आपको और सभी मित्रों को मेरी तरफ से लोहड़ी की बहुत बहुत शुभ कामनायें.

    आदर सहित

  17. ... on 13 January 2009 at 04:27  
  18. विवेक सिंह said...

    स्मार्ट इंडियन ने बताया कि वे आपको खींचकर लाए हैं ब्लॉगिंग में , भाई खुशी खुशी आजाते तो खिंचाई तो न होती :)

  19. ... on 13 January 2009 at 19:11  
  20. Anonymous said...

    मुझे स्‍मार्ट इं‍डियन जी ब्‍लागिंग में लाए तो खींचकर ही हैं पर भइया अब मैं धक्‍के खाकर भी यहां से नहीं हिलूंगा । मुझ जैसे अज्ञानी को तो यह आभास भी नहीं था कि आप लोग यहॉं बरसों से मजे ले रहे हैं और हम वहां थकी हुई किताबों से दिल बहला रहे हैं ।

  21. ... on 13 January 2009 at 19:51  
  22. निर्मला कपिला said...

    बहुत बडिया लिखा है आपने वैसे कोई आँसू पोंछने वाला ना मिले पर जनाजे पर आँसू बहाने वाले मिल ही जते हैं चाहे झूठे ही सही बधाई अछी रच्ना है

  23. ... on 13 January 2009 at 20:07  
  24. hem pandey said...

    'जब अपने शब्‍द ही
    लौट कर वापस आते हों'

    - एक सुंदर कविता.

  25. ... on 13 January 2009 at 22:30