(अतुल शर्मा)
जब हो हर तरफ तन्हाई
रात हो घिर आई
धीरे से तुम सिसकना मत
चाँद से कुछ बातें करना
मुस्कराना
इठलाना
गुदगुदाना
और फिर प्यार से
ग़मों को अपने भूल जाना
देखोगे कि सुबह फैली हुई है
अपनी सौगात लेकर
रात की कालिमा को धोकर
जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है
इस से भागना नहीं
अपने आगोश में पकड़ लेना
प्यार बांटना गम नहीं
मुस्कुराते रहना
सिसकना रोना नहीं.
(‘पतझड सावन वंसत बहार’ संकलन में प्रकाशित कविता)
जब हो हर तरफ तन्हाई
रात हो घिर आई
धीरे से तुम सिसकना मत
चाँद से कुछ बातें करना
मुस्कराना
इठलाना
गुदगुदाना
और फिर प्यार से
ग़मों को अपने भूल जाना
देखोगे कि सुबह फैली हुई है
अपनी सौगात लेकर
रात की कालिमा को धोकर
जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है
इस से भागना नहीं
अपने आगोश में पकड़ लेना
प्यार बांटना गम नहीं
मुस्कुराते रहना
सिसकना रोना नहीं.
(‘पतझड सावन वंसत बहार’ संकलन में प्रकाशित कविता)
42 टिप्पणियाँ:
Vinay said...
सुन्दर भाव वाली रचना, पढ़कर अच्छा लगा
---मेरे पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें | चाँद, बादल और शाम | तकनीक दृष्टा/Tech Prevue | आनंद बक्षी | तख़लीक़-ए-नज़र
seema gupta said...
अपने आगोश में पकड़ लेना
प्यार बांटना गम नहीं
मुस्कुराते रहना
सिसकना रोना नहीं.
" बेहद नाजुक भाव को कोमलता से प्रस्तुत करती जिन्दगी की तरफ सकारात्मक नजरिये को दर्शाती ....ये पंक्तियाँ खास कर मन को छु गयी.."
Regards
Smart Indian said...
बहुत सुंदर भाव, लिखते रहिये!
रंजू भाटिया said...
बहुत सुंदर भाव है जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है
इस से भागना नहीं
अपने आगोश में पकड़ लेना
प्यार बांटना गम नहीं
मुस्कुराते रहना
सिसकना रोना नहीं.
.सुंदर अभिव्यक्ति
Alpana Verma said...
देखोगे कि सुबह फैली हुई है
अपनी सौगात लेकर
रात की कालिमा को धोकर
सुंदर रचना -सफल अभिव्यक्ति.
नीरज गोस्वामी said...
"जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है"
कितनी अच्छी और सुलझी हुई बात....बेहतरीन कविता है...आभार आपकी इस प्रस्तुति का...
नीरज
mamta said...
जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है
सच ही लिखा है ।
Jimmy said...
right words ji good going
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दिनेशराय द्विवेदी said...
सुंदर, हिम्मत बढ़ाती कविता।
Unknown said...
अपने आगोश में पकड़ लेना
प्यार बांटना गम नहीं
मुस्कुराते रहना
सिसकना रोना नहीं.
bahut accha likha hai...
sandhyagupta said...
Bada hi manoram aur aakarshak blog hai aapka.Rachnayen bhi achchi hain.Badhai.
संगीता पुरी said...
प्यार बांटना गम नहीं
मुस्कुराते रहना
सिसकना रोना नहीं.
बहुत सुंदर भाव....अच्छी कविता।
रंजना said...
Aasha se bharee ,sfoorti pradaan karti sundar rachna.Waah !
admin said...
भावपूर्ण कविता, पढकर अच्छा लगा।
hem pandey said...
सकारात्मक सोच वाली सुंदर रचना के लिए साधुवाद.
निर्मला कपिला said...
bahut hi sunder sakaaratmak rachna hai bdhaai
अविनाश said...
सुंदर रचना, एक सुंदर और सफल प्रयास. मेरे ब्लॉग पर आने और टिप्पणी करने का शुक्रिया.
धन्यवाद
राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...
आपकी बात को हमेशा-हमेशा के लिए दिल संजो लिया है........अनुराग जी.........बहुत ही पोजिटिव रचना है....जितना पोजिटिव कि मैं ख़ुद.......इसलिए आपको धन्यवाद.....!!
shekhar said...
जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है ।
अत्यन्त प्रेरणादायक और सुन्दर कविता है । ब्लाग जगत को एक और सुन्दर कविता पढ़ाने के लिए बधाई एवं धन्यवाद ।
शेखर
Smart Indian said...
आपसे पूर्णतः सहमत हूँ.
आपको आपके परिवार, सहकर्मियों, पडोसिओं एवं मित्रों को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई!
योगेन्द्र मौदगिल said...
अच्छी कविता है अतुल जी.... साधुवाद...
Atul Sharma said...
आप सभी के ऊर्जा से भरे शब्दों के लिए मैं आभारी हूं। आपके प्रोत्साहन निश्चित ही मुझे प्रेरित करते हैं और मेरा मनोबल बढाते हैं। धन्यवाद।
Akanksha Yadav said...
सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
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60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!
मन से said...
सुंदर और सरल कविताओं के लिए धन्यवाद। लेकिन अभी तक आपकी वह कविताएं नहीं दिखाई दीं जो पतझड सावन वंसत बहार संकलन की बेहतरीन और खूबसूरत कविताएं हैं। क्या उन्हें संकलन के लिए ही रखा हुआ है।
ताऊ रामपुरिया said...
बेहद भावप्रवण रचना. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
दिगम्बर नासवा said...
भावः पूर्ण रचना, बहुत प्रभावशाली है
भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...
पहली बार आया, सुन्दर कविता पढ़कर मजा आ गया.
RADHIKA said...
प्यार बांटना गम नहीं
मुस्कुराते रहना
अच्छी कविता .बधाई
Atul Sharma said...
सरिता जी, आकांक्षा जी, ताऊजी, दिगंबर जी, राधिका जी और प्रिय COMMON MAN जी, आप सभी ने मेरा ब्लॉग देखा, पढा और सराहा, इसके लिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं।
राजीव करूणानिधि said...
तन्हाई का दर्द बाँटने के लिए शुक्रिया दोस्त. यूँ ही लिखते रहिय.
भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...
abhi padhna shuru kiya hai, majaa aa raha hai. aur padh loon,
Amit Kumar Yadav said...
Sundar Abhivyakti...Badhai !!
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''युवा'' ब्लॉग युवाओं से जुड़े मुद्दों पर अभिव्यक्तियों को सार्थक रूप देने के लिए है. यह ब्लॉग सभी के लिए खुला है. यदि आप भी इस ब्लॉग पर अपनी युवा-अभिव्यक्तियों को प्रकाशित करना चाहते हैं, तो amitky86@rediffmail.com पर ई-मेल कर सकते हैं. आपकी अभिव्यक्तियाँ कविता, कहानी, लेख, लघुकथा, वैचारिकी, चित्र इत्यादि किसी भी रूप में हो सकती हैं.
प्रदीप मानोरिया said...
आपकी हर कविता बहुत सुंदर है गहरे भावः बधाई
Atul Sharma said...
शुक्रिया करुणानिधि जी,COMMON MAN, “युवा” व प्रदीप मानोरिया जी,
आपके प्रेरणादायक शब्द उत्साहित करते हैं। धन्यवाद।
Anonymous said...
bahut sundar abhivyakti hai atul ji..
___________________________________
http://merastitva.blogspot.com
प्रदीप मानोरिया said...
अतुल जी यथार्थ परक आलेख
इस सम्बन्ध में मेने एक कव्वाली लिखी है आशा आपको लगेगा की वोह इस विषय को पूरा करती है
कृपया मेरे ब्लॉग पर पधार कर मुझे अनुग्रहीत करें
Atul Sharma said...
धन्यवाद काजल जी और प्रदीप मानोरिया जी।
Dev said...
बहुत सुंदर रचना .
बधाई
इस ब्लॉग पर एक नजर डालें "दादी माँ की कहानियाँ "
http://dadimaakikahaniya.blogspot.com/
admin said...
हिंदू तो वह हैं जो अच्छे प्रयोजनों के लिए महर्षि दधीचि की तरह अपनी अस्थियां भी दान देने की सामर्थ्य रखता हैं और अधर्म होने पर अपने बंधु बांधवों का विरोध/संहार करने पर भी नहीं हिचकिचाता।
सुन्दर विचार।
हरकीरत ' हीर' said...
Atul ji meri nazar pta nahi kyon nahi padi ab tak itani sunder racnaon pr....! Bhot hi accha likhte hain aap skaratmak soch liye... acchi lagin aapki rachnaye.....!!
Arvind Gaurav said...
bahut badhiya.....magar aapki taarif me ye shabd kam hai....kya kahun pata nahi.
talent said...
bahut sundar..